राग

वेदनाओं की वीणा पर सजाकर

पीडा के सात सुर विरह के गीत।।

झिंगुरों का अनवरत राग अनहद

अतृप्त कामनाओं में निहित प्रीत।।

भाव प्रवणता सुसंगत वाद्ययंत्रक

उन्मुक्त असीमित प्राकृतिक संगीत।।

कलरव करतल साध्य ध्वनि संगत

स्थिरचित विश्रामित रागी मौन मीत।।

नीरसता निर्मित अन्तर्द्वन्द्वीय नीरवता

आन्तरिक कोलाहल एकाकी मनमीत।।-PKVishvamitra

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